जगिया यानी शशांक, अरे भाई ठीक है, अपना डा. जगत। कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले ‘बालिका वधू’ सीरियल के नियमित दर्शक तो शशांक को अपने घर का सदस्य ही मानने लगे थे, लेकिन जब से जगिया शहर से दूसरी शादी करके गांव लौटा है, वह अब हर किसी की आंखों की किरकिरी बन गया है।पिछले तीन वर्षों से लगातार प्रसारित हो रहे इस मशहूर सीरियल में वयस्क जगिया के किरदार का निभाकर शशांक व्यास काफी खुश हैं, लेकिन नए नवेले जगिया की हरकतों से टीवी दर्शक उससे जरूर कुढ़ा हुआ है। हालांकि शशांक की मानें, तो उन्हें सीरियल में निभाए गए अपने किरदार में काफी मजा आ रहा है, यही नहीं, शशांक को जगिया किरदार से बेहद लगाव भी है, तभी तो वह बजाय अपने असली नाम के खुद को जगिया से पहचाना जाना अधिक पसंद करते हैं। आखिर ऐसा हो भी क्यों न, इस सीरियल में एंट्री के बाद शशांक की किस्मत जो बदल गई है। शशांक कहते हैं कि सीरियल में अगर जगिया जवान नहीं होता, तो उन्हें मौका कैसे मिलता, वाकई शशांक की बातों दम है।
बालिका वधू में निभाए जगिया के किरदार से शंशाक की पहचान आज हर घर में हो गई है। शशांक आज हर परिवार की चाय की चुस्कियों से लेकर खाने की टेबल पर चर्चा के विषय बन गए हैं। महिलाएं आनंदी पर जगिया द्वारा ढाए गए जुल्मों की चर्चा किए बगैर नहीं रह पाती हैं। उन्हें जगिया से डा. जगत बने शशांक के किरदार से अब उतना मोह नहीं रहा, क्योंकि वे आनंदी के दुख से दुखी हैं और गौरी और जगिया की शादी से उतनी ही नाराज हैं जितने कि जगिया के माता-पिता और दादी सा।
दर्शकों के दिल में घर कर गए इस सीरियल की स्क्रीप्टिंग में इतना दम है कि प्रत्येक वर्ग का दर्शक इस सीरियल को देखने के लिए बरबस टीवी के पास खिंचा चला जाता है। शशांक अपनी इस कामयाबी में बेहद खुश हैं लेकिन उन्हें दुख है कि उनकी इस कामयाबी को देखने के लिए उनकी मां उनके साथ नहीं हैं। शशांक बताते हैं कि उनकी मां को भी बालिका वधू सीरियल बहुत पसंद था और एक भी एपीसोड मिस करना नहीं पसंद करती थीं। लेकिन जब मैं इस सीरियल का हिस्सा बना, तो मां उनके साथ नहीं है। इमोशनल होकर शशांक कहते हैं कि अगर मां मुझे जगिया के रोल में बालिका वधू सीरियल में देखती तो बहुत खुश होतीं। बकौल शशांक, ‘‘हालांकि मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि मुझे उस सीरियल में काम करने का मौका मिला, जो सीरियल मेरी मां का पसंदीदा था।’’
शशांक के अनुसार जब उन्हें इस सीरियल में वयस्क जगिया का रोल ऑफर किया गया, उस वक्त वे बेहद घबराए हुए थे। चूंकि बालिका वधू उस वक्त काफी चर्चित सीरियल में से एक था और एक बड़ा ब्रांड बन चुका था।
‘‘मुझे जगिया के किरदार में खुद को साबित करने के लिए काफी मेहनत करना पड़ा। मुझे पता था कि दर्शकों की निगाहें नए जगिया का बेसब्री से इंतजार कर रही थी और मुझे उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना था।’’
उज्जैन के साधारण परिवार में जन्में शशांक को शुरू से ही थियेटर में रूचि थी। यही कारण था कि एमबीए की तैयारी बीच में ही छोड़कर शशांक संघर्ष करने के लिए मुंबई आ गए। लेकिन इस दौरान करीब दो वर्षों तक शशांक को कई निजी और आर्थिक समस्याओं को सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हालांकि इस बीच उन्हें यशराज प्रोडक्शन की ‘रिश्ता डाटकाम’ सीरियल में एक एपीसोड करने का मौका मिला और कई प्रिंट विज्ञापन भी किए। लेकिन बालिका वधू सीरियल में जगिया के किरदार ने शशांक की किस्मत बदल दी।
शशांक कहते हैं कि इतने बड़े सीरियल का हिस्सा बनना आसान काम नहीं था, लेकिन एक्टिंग की प्रति उनकी दीवानगी और समर्पण ने उन्हें वहां पहुंचाया, जिस मुकाम पर आज वो हैं। ‘‘मैं हमेशा से ही एक्टिंग को अपना कैरियर बनाना चाहता था, लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि इसकी शुरूआत कैसे होगी। शायद इसीलिए मैं मुंबई आ गया और करीब दो वर्षों के कड़े संघर्ष के बाद मुझे यह सफलता हासिल हुई। मुझे पता था कि मैं दर्शकों का मनोरंजन कर सकूंगा, क्योंकि अपने जीवन में मुझे शायद यही करना हमेशा से पसंद था।’’
Ben çok üzdü
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